Indicators on shiv chalisa lyricsl You Should Know
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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
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वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई ।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही shiv chalisa lyricsl दुख प्रभु आप निवारा॥